भारत ऐसा देश है जहां पर मोबाइल डाटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं। यहां पर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी सस्ता मोबाइल डाटा मिलता है। लेकिन आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को इसी डाटा के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एयरटेल, जियो, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल ने जल्द ही मोबाइल डाटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है।
भारतीय बाजार में एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज्यादा हिस्सेदारी है। हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है। ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलीकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी। इसी के बाद वोडाफोन ने हाल ही में बयान जारी किया है, "मोबाइल डाटा आधारित सेवाओं की तेजी से बढ़ती मांग के बावजूद भारत में मोबाइल डाटा के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। वोडाफोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ की दरें उपयुक्त ढंग से बढ़ाएगा ताकि इसके ग्राहक विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव लेते रहें।
एयरटेल की ओर से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया है। नई दरें क्या होंगी, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। जियो और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने भी इसी तरह की घोषणा की है। कंपनियां क्यों डाटा का दाम बढ़ा रही हैं, किस हद तक यह कीमत बढ़ेगी और आम आदमी पर इसका कितना फर्क पड़ेगा
पहले टेलीकॉम सेक्टर में कई कंपनियां थीं और उनमें प्रतियोगिता के कारण डाटा की कीमतें गिरी थीं। ये कीमतें इसलिए भी गिरी थीं क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में ग्राहकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी। भारत में 22 टेलीकॉम सर्कल हैं और उनमें तीन कैटिगरीज हैं- A, B और C। इनमें C कैटिगरी के सर्कल्स (जैसे कि ओडिशा) में जियो, एयरटेल व दूसरी कंपनियां नए ग्राहक बनाना चाहती थीं।